Thursday, 5 October 2017

888. God The Supreme Power शरद पूर्णिमा का महत्व और 'अमृत वर्षा' का समय Sharad Purnima Ka Mahatv Aur ‘Amrit Varsha’ Ka Samay शरद पूर्णिमा अश्विन मास की पूर्णिमा को मनाई जाती है। शरद पूर्णिमा की मध्य रात्रि के बाद मां लक्ष्मी अपने वाहन उल्लू पर बैठकर धरती पर आती हैं। माता लक्ष्मी यह देखती हैं कि कौन रात को जागकर उनकी भक्ति कर रहा है। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात को 'कोजागरा' भी कहा जाता है। 'कोजागरा' का मतलब होता है कि कौन जाग रहा है। शरद पूर्णिमा 2017: अमृत वाली खीर खानी हो तो करें ये काम शास्त्रों में ऐसा कहा गया है कि शरद पूर्णिमा की रात में जागकर जो भी माता लक्ष्मी की पूजा-अर्चना करता है उस पर माता लक्ष्मी की विशेष कृपा होती है। ज्योतिषी पंडित धनंजय पाण्डेय के अनुसार जो भी धन लाभ की कामना करते हैं उन्हें इस रात जागकर माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए। मान्यता है कि माता लक्ष्मी को खीर बहुत प्रिय है। इसलिए पूर्णिमा को माता को खीर का भोग लगाने से धन प्राप्ति के प्रबल योग बनते हैं। ऐसा माना जाता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की वर्षा होती है। इसलिए पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर रखने और खाने का विधान है। शरद पूर्णिमा की चांदनी में विशेष अमृतमयी गुण भी होता है, जिससे बहुत सी बीमारियों का नाश हो जाता है। शरद पूर्णिमा की रात में अमृत वर्षा का समय शाम 7 बजे से रात के 12 बजे तक है।

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